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Deepak Singh

प्रमाद

Lifestyle and Traditions

तब जबकि १करोड़ से ज्यादे गाड़ियाँ और बेहिसाब फैले उद्योगों से निकले धुएँ ने पहले ही ज़हरीली कर रखी है दिल्ली की हवा को और हमारे बच्चों,बुज़ुर्गों,नवजात शिशुओं के गुलाबी फेफड़े काले पड़ रहे हैं,ऐसे में चारों तरफ़ गूँजतीं पटाखे की आवाज़ें मुझे अवसाद से भर देती है?ये कौन लोग हैं जो दीवाली के जश्न में लिपटे मौत की आहट को नहीं सुन रहे हैं।इन्हें क्या हक़ है आतंकवादियों,घोटालेबाज़ों,बलात्कारीयों.....के कर्मों की समीक्षा करने की।

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