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योग- मनुष्य की समस्याओं के समाधान का एकमात्र उपाय

Philosophy of Yoga

इस समस्त संसार में तीन प्रकार के दुख होते हैं- आधिभौतिक, आधिदैविक तथा आध्यात्मिक। आधिभौतिक दुख उस दुख को कहते हैं जो हमें अन्य प्राणी जैसे- हमारा कोई दुश्मन हो, शेर,चीता, सांप, बिच्छू आदि से मिलता है या इनसे मिलने का भय होता है। आधिदैविक दुख वह दुख है जो हमें प्रकृति या दैविक घटनाओं से मिलता है जैसे- दुर्घटना का भय, अकाल, अतिवृष्टि, भूकंप, ज्वालामुखी, आंधी- तूफान आदि का भय। आध्यात्मिक दुख के अंतर्गत शारीरिक,मानसिक, भावनात्मक तथा बौद्धिक दुख आते हैं जैसे- शारीरिक रोग- ह्रदय रोग, कैंसर, एड्स जैसे अनेक रोग तथा मानसिक रोग के अंतर्गत तनाव, अवसाद, निराशा, कुंठा, बुढ़ापा, मृत्यु, प्रिय का वियोग तथा अप्रिय का संयोग आदि के भय आते हैं।
इन उपर्युक्त दुखों के निदान हेतु इस संसार में अनेक उपाय हैं। एक लौकिक उपाय है जैसे रोगों के निदान हेतु मेडिकल चिकित्सा करवाना, जड़ी बूटी, होमियोपैथी चिकित्सा, आयुर्वेदिक उपचार आदि अनेक वैकल्पिक चिकित्सकीय निदान हैं। दूसरा उपाय है- झाड़- फूंक, यज्ञ करना - करवाना, मंत्र चिकित्सा आदि। ऊपर के ये सारे उपाय एक तो सारी समस्याओं का निदान कर नहीं पाते। दूसरा यदि ये कुछ समस्याओं का क्षणिक और तात्कालिक निदान कर भी लेते हैं तो वे निश्चित तौर पर हमेशा के लिए समस्त दुखों के निदान की गारंटी नहीं दे पाते हैं। उदाहरण के रुप में उच्च रक्तचाप की समस्या के स्थाई समाधान का आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के पास कोई उपाय ही नहीं है। यदि इनका थोड़ा बहुत अस्थाई समाधान है तो मानसिक भय, तृष्णा, राग, द्वेष,काम तथा क्रोध का तो आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ इस समस्त संसार में कोई उपाय ही नहीं है।
इस संसार में योग विद्या के अतिरिक्त कोई अन्य सांसारिक विद्या है ही नहीं जो मनुष्य के उपर्युक्त तीनों दुखों का निश्चित रुप से और स्थायी समाधान करती हो। इसका मुख्य कारण यह है कि वे सारी विद्याएं जो हमारे दुख का निदान बाहरी संसार में ढूंढ़ती हैं अंततः समस्या के मूल कारण तक नहीं पहुंच पातीं और केवल रोग के लक्षणों की चिकित्सा करती हैं। उदाहरण के रुप में किसी को उच्च कोलेस्ट्रॉल का रोग है तो डाक्टर उसके लक्षणों को देखकर उसे खून को पतला करने की दवा देता है। किंतु, यदि रोग के तह में जाएं तो रोग का मूल कारण मन में होता है। मन का आधुनिक चिकित्सा के पास कोई समाधान ही नहीं है।किसी को भूकंप से डर लगता है। इसके लिए उसे कौन सी दवा देंगे। बहुत करेंगे उसका घर भूकंप रोधी बनवा देंगे। लेकिन भूकंप समय तथा तिथि बताकर तो आता नहीं। जिस समय वह घर के बाहर कहीं दूसरी जगह या दूसरे के घर पर है उस समय भूकंप आ गया तो उसके लिए क्या उपाय है? चाहे जो लौकिक उपाय कर देंगे यदि एक बार मन में डर बैठ गया तो मन अनेक प्रकार के प्रश्न खड़ा कर करके चैन से नहीं सोने देगा। अब चाहे उस व्यक्ति के जीवन काल में कभी भूकंप ने आए किंतु वह तो हर पल भय में ही जीता है। इसी प्रकार मनुष्य के जीवन में अनेकों समस्याएं हैं जिनका कोई लौकिक समाधान ही नहीं है। किंतु योग के अभ्यास से विवेक को जागृत कर हम संसार की हर समस्याओं के परे चले जाते हैं।

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